दुनिया का सबसे रईस एक भारतीय, जो था बेहद कंजूस!
1947 में देश आजाद हुआ, उस समय हैदराबाद के निजाम ओसमान अली खान को धरती पर सबसे अमीर शख्स माना जाता था.
तब धरती पर उनके बराबर पैसा, सोना-चांदी-हीरे-जवाहरात किसी के पास नहीं थे लेकिन कंजूसी देखकर लोग दंग रह जाते थे.
निजाम की नेट वर्थ 17.47 लाख करोड़ आंकी गई थी. उनकी कुल संपत्ति उस समय अमेरिका की जीडीपी की 2 फीसदी थी.
निजाम के पास जैकब डायमंड था जो सात सबसे महंगे हीरों में गिना जाता था. इसका इस्तेमाल पेपरवेट के तौर पर करते थे.
'फ्रीडम एट मिडनाइट' किताब में निजाम की कंजूसी के किस्से दर्ज हैं. इसके मुताबिक, वह टिन-प्लेटों में भोजन किया करते.
वे इतने ज्यादा कंजूस थे कि अगर कोई मेहमान अपने पीछे सिगरेट का टोटा छोड़ जाता तो वह उसी को उठाकर पीने लगते थे.
वह बिना इस्तरी किया सूती पायजामा पहना करते. मामूली दाम पर स्थानीय बाजार से खरीदी गई घटिया चप्पलें पैरों में होती थीं.
एक बार सोने का कोई सिक्का नीचे गिर कर लुढ़कने लगा. निजाम उसके पीछे लपके और घुटनों और हथेलियों के बल चलने लगे.
एक बार निजाम की जांच करने आए डॉक्टर का यंत्र नहीं चला. निजाम ने कनेक्शन कटवा रखा था, ताकि बिल ज्यादा न आए.
निजाम के शयनकक्ष में बेहद पुराना पलंग, टूटी टेबल, सड़ी हुई तीन कुर्सियां, राख से लदी ऐश-ट्रे, कचरे से सनी रद्दी की टोकरियां थीं.
उनके बगीचे की कीचड़ में दर्जन भर ट्रक खड़े थे, जो लदे हुए माल के वजन से बुरी तरह धंसे जा रहे थे. माल था- सोने की ठोस ईंटें.
उनके जवाहरात का खजाना इतना बड़ा था कि माणिक, मुक्ता, नीलम, पुखराज आदि के टोकरे भर-भर कर तलघरों में रखे हुए थे.
निजाम के पास बीस लाख पौण्ड से भी ज्यादा रकम नगद पड़ी हुई थी. ये मुद्राएं पुराने अखबारों में लपेटकर तलघरों में छोड़ दी गई थीं.
निजाम ने कभी एक कौड़ी भी फालतू खर्च नहीं किया. वह लोगों से महंगी कारें तोहफे में लेते थे, इतनी जो गैरेजों में समाए न समातीं.