साहिर लुधियानवी का मूल नाम अब्दुल हई फजल मुहम्मद था. उनका जन्म 8 मार्च 1921 को पंजाब के लुधियाना में हुआ था. बाद में वे मुंबई पहुंचे और संघर्ष के बाद फिल्मों में गाने लिखकर पहचान बनाई.
Photo; Social Media
ये जुल्फ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा इस रात की तकदीर संवर जाए तो अच्छा जिस तरह से थोड़ी सी तेरे साथ कटी है बाकी भी उसी तरह गुजर जाए तो अच्छा.
जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया जो खो गया मैं उसको भुलाता चला गया गम और खुशी में फर्क न महसूस हो जहां मैं दिल को उस मकाम पे लाता चला गया.
एक मुद्दत से तमन्ना थी तुम्हें छूने की आज बस में नहीं जज्बात करीब आ जाओ सर्द झोंकों से भड़कते हैं बदन में शोले जान ले लेगी ये बरसात करीब आ जाओ.
न तू जमीं के लिए है न आसमां के लिए तेरा वजूद है अब सिर्फ दास्तां के लिए गरज-परस्त जहां में वफा तलाश न कर ये शय बनी थी किसी दूसरे जहां के लिए.
निगाहे नाज के मारों का हाल क्या होगा न बच सके तो बेचारों का हाल क्या होगा हमारे हुस्न की बिजली चमकने वाली है न जाने आज हजारों का हाल क्या होगा.
इश्क की गर्मी ए जज्बात किसे पेश करूं ये सुलगते हुए दिन रात किसे पेश करूं कोई हमराज तो पाऊं कोई हमदम तो मिले दिल की धड़कन के इशारात किसे पेश करूं.
तुम हुस्न की खुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं महफिल में तुम्हारे आने से हर चीज पे नूर आ जाता है.
मिलती है जिंदगी में मोहब्बत कभी-कभी होती है दिलबरों की इनायत कभी कभी फिर खो न जाएं हम कहीं दुनिया की भीड़ में मिलती है पास आने की मोहलत कभी कभी.