वफा करने की नौबत आ गई है... फहमी बदायूंनी के ये चुनिंदा शेर

10 Dec 2023

By अतुल कुशवाह

शायर फहमी बदायूंनी का जन्म 4 जनवरी 1952 को उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के बिसौली में हुआ था. उनकी शायरी के रंग निराले हैं. सोशल मीडिया में उनकी शायरी खूब वायरल होती है.

शायर फहमी बदायूंनी

Photo: Facebook

परेशां है वो झूठा इश्क करके वफा करने की नौबत आ गई है. मैंने उसकी तरफ से खत लिखा और अपने पते पे भेज दिया.

कहीं कोई कमां ताने हुए है कबूतर आड़े तिरछे उड़ रहे हैं बहुत कहती रही आंधी से चिड़िया कि पहली बार बच्चे उड़ रहे हैं.

चलती सांसों को जाम करने लगा वो नजर से कलाम करने लगा साफ इंकार कर नहीं पाया वो मेरा एहतराम करने लगा.

कोई दीवार ऊंची हो रही है तेरी आवाज धीमी हो रही है वो होटल था वहां पर कौन कहता सुनो जी चाय ठंडी हो रही है.

सुनो लोगों को ये शक हो गया है कि हम जीने की साजिश कर रहे हैं मेरे सहरा से जो बादल उठे थे किसी दरिया पे बारिश कर रहे हैं.

अब उनको याद करके रो रहे हैं बिछड़ते वक्त रोना चाहिए था हमारा हाल तुम भी पूछते हो तुम्हें मालूम होना चाहिए था.

तेरी खुशबू से जो वाकिफ नहीं हैं वो फूलों से गुजारा कर रहे हैं निकल आए तो फिर रोने न देंगे हम अपने आंसुओं से डर रहे हैं.

तुम्हें बस ये बताना चाहता हूं मैं तुमसे क्या छिपाना चाहता हूं कभी मुझसे भी कोई झूठ बोलो मैं हां में हां मिलाना चाहता हूं.