फैज अहमद फैज का मूल नाम फैज अहमद था. उनका जन्म 13 फरवरी 1911 को पाकिस्तान में सियालकोट पंजाब में हुआ था. वे क्रांतिकारी विचारों वाले शायर थे.
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सुबह की आज जो रंगत है वो पहले तो न थी क्या खबर आज खिरामां सरे गुलजार है कौन रात महकी हुई आई है कहीं से पूछो आज बिखराए हुए ज़ुल्फे तरह दार है कौन.
गुलों में रंग भरे बादे नौबहार चले चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले हुजूरे यार हुई दफ्तरे जुनूं की तलब गिरह में ले के गरेबां का तार तार चले.
आपकी याद आती रही रातभर चांदनी दिल दुखाती रही रातभर कोई खुशबू बदलती रही पैरहन कोई तस्वीर गाती रही रातभर.
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के वो जा रहा है कोई शबे गम गुजार के वीरां है मयकदा खुमो सागर उदास हैं तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के.
तेरी उम्मीद तेरा इंतजार जब से है न शब को दिन से शिकायत न दिन को शब से है किसी का दर्द हो करते हैं तेरे नाम रक़म गिला है जो भी किसी से तेरे सबब से है.
तुम्हारी याद के जब जख्म भरने लगते हैं किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं हर अजनबी हमें महरम दिखाई देता है जो अब भी तेरी गली से गुजरने लगते हैं.
नसीब आजमाने के दिन आ रहे हैं करीब उनके आने के दिन आ रहे हैं टपकने लगी उन निगाहों से मस्ती निगाहें चुराने के दिन आ रहे हैं.
हम पर तुम्हारी चाह का इल्जाम ही तो है दुश्नाम तो नहीं है ये इकराम ही तो है दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है लंबी है गम की शाम मगर शाम ही तो है.