इसी दयार ने देखी है कृष्ण की लीला... कान्हा के लिए कहे गए खूबसूरत शेर

25 Aug 2024

By अतुल कुशवाह

पैगामे हयात ए जावेदां था हर नग्मा ए कृष्ण बांसुरी का. 'हसरत' की भी कबूल हो मथुरा में हाजिरी सुनते हैं आशिकों पे तुम्हारा करम है आज. (हसरत मोहानी)

जहां देखो वहां मौजूद मेरा कृष्ण प्यारा है उसी का सब है जलवा जो जहां में आश्कारा है. (भारतेंदु हरिश्चंद्र)

किसी समय में धनुष बाण को संभाला था इसी दयार ने देखी है कृष्ण की लीला वो रातों रात श्रीकृष्ण को उठाए हुए बला की कैद से बसदेव का निकल जाना. (फिराक गोरखपुरी)

दीवार ओ दर पे कृष्ण की लीला के नक्श हैं मंदिर है ये तो कृष्ण के दरबार की तरह. (शोभा कुक्कल) आज भी प्रेम के और कृष्ण के अफसाने हैं आज भी वक्त की जम्हूरी जबां है उर्दू (अता आबिदी)

प्यार में कैसी थकन कह के ये घर से निकली कृष्ण की खोज में वृषभानु लली मीलों तक. (कुंवर बेचैन) देखिए होगा श्रीकृष्ण का दर्शन क्यूं कर सीना ए तंग में दिल गोपियों का है बेकल. (मोहसिन काकोरवी)

कभी गोकुल कभी राधा कभी मोहन बन के मैं खयालों में भटकती रही जोगन बन के इस तरह मेरी कहानी से धुआं उठता है जैसे सुलगे कोई हर लफ्ज में ईंधन बन के. (अजीज बानो दाराब वफा)

रोशनी ऐसी अजब थी रंग भूमि की नसीम हो गए किरदार मुदगम कृष्ण भी राधा लगे. (इफ्तिखार नसीम) जिस की हर शाख पे राधाएं मचलती होंगी देखना कृष्ण उसी पेड़ के नीचे होंगे. (बेकल उत्साही)

काश बिजली कोई चमके कोई बादल बरसे आज की शाम जमीनों पे बहुत भारी है मैं भी राधा से कोई कम तो नहीं हूं शबनम सांवले रंग का मेरा भी तो गिरधारी है. (रफीआ शबनम आबिदी)

अपने आंसू संभालकर रखना इक समंदर कभी बनाएंगे कैनवस पर बना के राधा श्याम साथ इक बांसुरी बनाएंगे. (ओसामा अमीर)