6 Apr 2024
By अतुल कुशवाह
नई पीढ़ी के शायर और कांग्रेस से राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने मुशायरों की दुनिया में अलग ही पहचान बनाई. आज हम आपके लिए उनकी मुहब्बत वाली शायरी लेकर आए हैं.
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किसी ने टूटते सपने बिखरती शाम भेजा है किसी ने अपनी आंखों का छलकता जाम भेजा है हमारी ईद को रंगीन करने अब तो आ जाओ किसी ने आंसुओं के साथ ये पैगाम भेजा है.
किसी के हाथ का कंगन खनकना भूल बैठा है कोई सिंगार करके भी महकना भूल बैठा है चले आए हो जबसे छोड़कर तन्हा किसी को तुम अब उसके सर का आंचल भी सरकना भूल बैठा है.
लड़कपन का नशा उस पर मुहब्बत और पागलपन उम्र के मोड़ का इक खूबसूरत दौर पागलपन मेरे घरवाले कहते हैं बड़े अब हो चुके हो तुम मगर मन फिर भी करता है करूं कुछ और पागलपन.
किसी की याद का जंगल है भागे जा रहा हूं मैं जो किस्मत में नहीं है उसको मांगे जा रहा हूं मैं दुल्हन बनकर किसी की वो कहीं पर सो रही होगी मगर मुद्दत हुई है अब भी जागे जा रहा हूं मैं.
मेरी बाइक की पिछली सीट जो अब तक अकेली है इधर लगता है उसने कोई खुशबू साथ ले ली है मगर इसी बीच मैं बाइक पे जब-जब बैठता हूं तो मुझे लगता है कांधे पर कोई नाजुक हथेली है.
यही एहसास मुझमें सारा सारा दिन महकता है मुझे छूने को उसका मखमली पल्लू सरकता है बुलाती है किसी की दालचीनी सी महक मुझको मेरा ही नाम ले लेके कोई कंगन खनकता है सुबह में साथ में और दोपहर में साथ रहती है कोई मासूम सी लड़की सफर में साथ रहती है.
फिर उसने मारी है मिसकॉल, फिर उसने मारी है मिसकॉल नाजुक नाजुक उंगली जब कीपैड पे चलती होगी, उस पल तो मोबाइल की भी जान निकलती होगी उसके मन में भी आते होंगे अच्छे बुरे खयाल फिर उसने मारी है मिसकॉल.
चले आओ किसी की जुल्फ का बादल बुलाता है तुम्हारी याद में होकर कोई पागल बुलाता है बुलाती है किसी की संदली बांहों की बेचैनी किसी की आंख का भीगा हुआ काजल बुलाता है.