अयोध्या में महज एक राम मंदिर नहीं बन रहा बल्कि राम मंदिर के आसपास के इलाके को त्रेतायुग के रामराज के आधार पर तैयार किया जा रहा है.
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त्रेतायुग के आधार पर तैयार हो रही अयोध्या अब अयोध्या धाम से जानी जाएगी. आइये जानते हैं, क्या तैयारी चल रही हैं.
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अयोध्या में प्रवेश करते ही श्रद्धालु सनातन संस्कृति के रंग में डूब जाएंगे. यहां टेराकोटा की महीन मिट्टी की भित्ति कलाकृतियों से सजी दीवारें अपने अंतिम रूप में आती दिखाई दे रही हैं.
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सड़कों के किनारे स्थापित सूर्य स्तंभ भगवान राम के सूर्यवंशी होने का प्रतीक दर्शाते हैं. सड़कों के किनारे दीवारें बनाई जा रही हैं जिन पर रामायण काल की घटनाओं को दर्शाया गया है.
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खास बात यह है कि नयाघाट से सहादतगंज तक जाने वाली सड़क का नाम रामपथ है जो 13 किलोमीटर लंबी सड़क है. पहले यह सड़क दो लेन की थी. अब इसकी जगह 40 फीट चौड़ी सड़क बनाई गई है.
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सड़क के दोनों ओर के प्रतिष्ठानों, भवनों और दुकानों को एक ही डिजाइन और रंग में रंगा जा रहा है. डिवाइडर पर पौधे लगाए जा रहे हैं.
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बस स्टॉप का भी निर्माण किया जा रहा है और सड़क के किनारे फुटपाथ को सुंदर बनाने का काम भी चल रहा है. राम मंदिर के मुख्य प्रवेश मार्ग को श्रीराम जन्मभूमि पथ के रूप में विकसित किया जा रहा है.
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प्राचीन महत्व के प्रतीकों से सज रही अयोध्या प्राचीन घटनाओं की साक्षी बन रही है. नयाघाट स्थित रामकथा संग्रहालय का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है.
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ऐतिहासिक घटनाओं की गवाह राम की पैड़ी की सफाई की गई है. प्रतिदिन शाम को लेजर शो के माध्यम से राम कथा प्रस्तुत की जा रही है.
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अयोध्या को प्राचीन महत्व के प्रतीकों से सजाया जा रहा है ताकि श्रद्धालुओं को अयोध्या में प्रवेश करते ही राम युग की मौजूदगी का एहसास हो.
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रामनगरी के 37 प्राचीन मंदिरों का भी जीर्णोद्धार किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर अयोध्या में बन रहे भव्य रेलवे स्टेशन का काम भी अंतिम चरण में है.
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