शकील बदायूंनी का जन्म 3 अगस्त 1916 को उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में हुआ था. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. साल 1944 में मुंबई पहुंचे और फिल्मों में गीतकार के तौर पर शोहरत हासिल की.
न सोचा था ये दिल लगाने से पहले कि टूटेगा दिल मुस्कुराने से पहले अगर गम उठाना था किस्मत में अपनी खुशी क्यों मिली गम उठाने से पहले.
आंख से आंख मिलाता है कोई दिल को खींचे लिए जाता है कोई वाए हैरत कि भरी महफिल में मुझको तन्हा नजर आता है कोई.
कैसे कह दूं कि मुलाकात नहीं होती है रोज मिलते हैं मगर बात नहीं होती है छुप के रोता हूं तेरी याद में दुनियाभर से कब मेरी आंख से बरसात नहीं होती है.
आज फिर गर्दिश ए तकदीर पे रोना आया दिल की बिगड़ी हुई तस्वीर पे रोना आया इश्क की कैद में अब तक तो उम्मीदों पे जिए मिट गई आस तो जंजीर पे रोना आया.
ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया यूं तो हर शाम उम्मीदों में गुजर जाती है आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया.
जुनूं से गुजरने को जी चाहता है हंसी जब्त करने को जी चाहता है जहां इश्क में डूबकर रह गए हैं वहीं फिर उभरने को जी चाहता है.
बदले बदले मेरे गमख्वार नजर आते हैं मरहले इश्क के दुश्वार नजर आते हैं उनके आगे जो झुकी रहती हैं नजरें अपनी इसलिए हम ही खतावार नजर आते हैं.
इश्क की चिंगारियों को फिर हवा देने लगे मेरे पास आकर वो दुश्मन को दुआ देने लगे मयकदे का मय-कदा खामोश था मेरे बगैर मैं हुआ वारिद तो पैमाने सदा देने लगे.