'गम है या खुशी है तू' लिखने वाले शायर नासिर काजमी के चुनिंदा शेर

5 Jan 2023

By अतुल कुशवाह

नासिर काजमी का मूल नाम नासिर रजा काजमी था. उनका जन्म 8 दिसंबर 1925 को हरियाणा के अंबाला शहर में हुआ था. विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्तान जाकर रहने लगा था.

शायर नासिर काजमी

Photo: facebook/pexels

खमोशी उंगलियां चटखा रही है तेरी आवाज अब तक आ रही है दिले वहशी लिए जाता है लेकिन हवा जंजीर सी पहना रही है.

किसी कली ने भी देखा न आंख भर के मुझे गुजर गई जरसे गुल उदास कर के मुझे तेरे फिराक की रातें कभी न भूलेंगी मजे मिले उन्हीं रातों में उम्रभर के मुझे.

होती है तेरे नाम से वहशत कभी कभी बरहम हुई है यूं भी तबीयत कभी कभी ऐ दोस्त हम ने तर्क ए मोहब्बत के बावजूद महसूस की है तेरी जरूरत कभी कभी.

गम है या खुशी है तू मेरी जिंदगी है तू आफतों के दौर में चैन की घड़ी है तू.

शहर सुनसान है किधर जाएं खाक होकर कहीं बिखर जाएं रात कितनी गुजर गई लेकिन इतनी हिम्मत नहीं कि घर जाएं.

दिल में इक लहर सी उठी है अभी कोई ताजा हवा चली है अभी कुछ तो नाज़ुक मिजाज हैं हम भी और ये चोट भी नई है अभी.

अपनी धुन में रहता हूं मैं भी तेरे जैसा हूं ओ पिछली रुत के साथी अब के बरस मैं तन्हा हूं.

क्या जमाना था कि हम रोज मिला करते थे रातभर चांद के हमराह फिरा करते थे देखकर जो हमें चुपचाप गुजर जाता है कभी उस शख्स को हम प्यार किया करते थे.