तुम फलक हो मैं जमीं हूं तुम समझते क्यों नहीं... शबीना अदीब के चुनिंदा शेर

25 Feb 2024

By अतुल कुशवाह

मशहूर शायरा शबीना अदीब का ताल्लुक उत्तर प्रदेश के कानपुर से है. वे पूरे देश-दुनिया में होने वाले कवि सम्मेलन और मुशायरों में शिरकत करती हैं. उनके तमाम शेर सोशल मीडिया में वायरल होते हैं. 

शायरा शबीना अदीब

Photo: facebook/pexels

घर हमारे तू आए न आए मगर जिंदगी काट देंगे तेरे नाम पर अपना वादा सियासत का वादा नहीं जो कहा है वो करके दिखाएंगे हम.

तुम जहां हो मैं वहीं हूं तुम समझते क्यों नहीं मैं अकेले कुछ नहीं हूं तुम समझते क्यों नहीं एक हो सकते नहीं हम सामने रहते हुए तुम फलक हो मैं जमीं हूं तुम समझते क्यों नहीं.

साथ हों दोनों तो रिश्तों का मजा कुछ और है तुम कहीं हो मैं कहीं हूं तुम समझते क्यों नहीं क्यों भटकते फिर रहे हो मुझको पाने के लिए दिल टटोलो मैं वहीं हूं तुम समझते क्यों नहीं.

जो खानदानी रईस हैं वो मिजाज रखते हैं नर्म अपना, तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा कि आके बैठे हैं पहली सफ में, अभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई नई है.

गैर के गांव पकड़ते नहीं देखा हमने उनकी इज्जत को उजड़ते नहीं देखा हमने वो जो आते हैं मेहनत की कमाई लेकर उनके बच्चों को बिगड़ते नहीं देखा हमने.

दिये मुंडेरों पे रख रही हूं जमीं पे कलियां बिछा रही हूं, कभी तो आओगे लौटकर तुम इसीलिए घर सजा रही हूं कभी तो उतरेगा चांद छत पर कभी तो चमकेगी मेरी किस्मत, इसीलिए तो हथेलियों पर मैं आज मेहंदी लगा रही हूं.

हाल क्या दिल का है इजहार से रोशन होगा यानी किरदार तो किरदार से रोशन होगा रातदिन आप चरागों को जलाते क्यों हैं घर चरागों से नहीं प्यार से रोशन होगा.

मेरे होठों पे शिकायत भी नहीं आएगी सामने सबके हकीकत भी नहीं आएगी बस मुझे बेवफा कह दीजिए मर जाऊंगी आप पर कत्ल की तोहमत भी नहीं आएगी.