वो जो अपना था वही और किसी का क्यों है... कैफी आजमी के चुनिंदा शेर

2 Dec 2023

By अतुल कुशवाह

कैफी आजमी का मूल नाम सय्यद अतहर हुसैन रिजवी था. उनका जन्म 14 जनवरी 1918 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में हुआ था. शायरी के साथ ही कैफी आजमी ने फिल्मों में गीत लिखे.

शायर कैफी आजमी

कोई ये कैसे बताए कि वो तन्हा क्यों है वो जो अपना था वही और किसी का क्यों है उनके सीने में समा जाए हमारी धड़कन इतनी कुर्बत है तो फिर फासला इतना क्यों है.

आज फिर टूटेंगी तेरे घर की नाज़ुक खिड़कियां आज फिर देखा गया दीवाना तेरे शहर में जुर्म है तेरी गली से सर झुकाकर लौटना कुफ्र है पथराव से घबराना तेरे शहर में.

या दिल की सुनो दुनिया वालों या मुझको अभी चुप रहने दो मैं गम को खुशी कैसे कह दूं जो कहते हैं उनको कहने दो.

मिले न फूल तो कांटों से दोस्ती कर ली इसी तरह से बसर हमने जिंदगी कर ली अब आगे जो भी हो अंजाम देखा जाएगा खुदा तलाश लिया और बंदगी कर ली.

आज सोचा तो आंसू भर आए मुद्दतें हो गईं मुस्कुराए दिल की नाज़ुक रगें टूटती हैं याद इतना भी कोई न आए.

इतना तो जिंदगी में किसी के खलल पड़े हंसने से हो सुकून न रोने से कल पड़े जिस तरह हंस रहा हूं मैं पी पी के गर्म अश्क यूं दूसरा हंसे तो कलेजा निकल पड़े.

झुकी झुकी सी नजर बेकरार है कि नहीं दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं वो पल कि जिसमें मोहब्बत जवान होती है उस एक पल का तुझे इंतजार है कि नहीं.

बहारो मेरा जीवन भी संवारो कोई आए कहीं से यूं पुकारो न जाने किसका साया दिल से गुजरा जरा आवाज देना राजदारो.