3 Feb 2024
By अतुल कुशवाह
मौत एक ऐसी कड़वी सच्चाई है, जिसको लेकर इंसान हमेशा सोचता रहा है और सवाल करता रहा है, लेकिन कभी कोई मुकम्मल जवाब नहीं खोजा जा सका. शायरों ने आशिकों के हवाले से मौत पर तमाम शेर कहे हैं. उस गली ने ये सुन के सब्र किया जाने वाले यहां के थे ही नहीं. (जॉन एलिया)
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कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं जिंदगी तूने तो धोखे पे दिया है धोखा. मौत का भी इलाज हो शायद जिंदगी का कोई इलाज नहीं. (फिराक गोरखपुरी)
आई होगी किसी को हिज्र में मौत मुझको तो नींद भी नहीं आती. (अकबर इलाहाबादी) रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई. (कैफी आजमी)
कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊंगा मैं तो दरिया हूं समुंदर में उतर जाऊंगा. (अहमद नदीम कासमी) जो लोग मौत को जालिम करार देते हैं खुदा मिलाए उन्हें जिंदगी के मारों से. (नजीर सिद्दीकी)
चरागों को उछाला जा रहा है हवा पर रौब डाला जा रहा है जनाजे पर मेरे लिख देना यारो मोहब्बत करने वाला जा रहा है. (राहत इंदौरी)
शुक्रिया ऐ कब्र तक पहुंचाने वालों शुक्रिया अब अकेले ही चले जाएंगे इस मंजिल से हम. (कमर जलालवी) लोग अच्छे हैं बहुत दिल में उतर जाते हैं इक बुराई है तो बस ये है कि मर जाते हैं. (रईस फरोग)
दर्द सीने में छिपाए रखा हमने माहौल बनाए रखा मौत आई थी कई दिन पहले उसको बातों में लगाए रखा. (मदन मोहन दानिश)
नाउम्मीदी मौत से कहती है अपना काम कर आस कहती है ठहर खत का जवाब आने को है. (फानी बदायूंनी) रोने वालों ने उठा रक्खा था घर सर पर मगर उम्र भर का जागने वाला पड़ा सोता रहा. (बशीर बद्र)
कहानी खत्म हुई और ऐसी खत्म हुई कि लोग रोने लगे तालियां बजाते हुए. (रहमान फारिस) मां की आगोश में कल मौत की आगोश में आज हमको दुनिया में ये दो वक्त सुहाने से मिले. (कैफ भोपाली)