दिवाली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. रोशनी के इस पर्व पर शायरों ने खूबसूरत शेर और गजलें कही हैं. इस पर्व पर कुछ चुनिंदा शेर पेश हैं.
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चांद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है अक्स किसका है कि इतनी रौशनी पानी में है. - फरहत एहसास
कई इतिहास को एक साथ दोहराती है दीवाली मोहब्बत पर विजय के फूल बरसाती है दीवाली निगाहों का मुकद्दर आ के चमकाती है दीवाली पहनकर दीपमाला नाज फरमाती है दीवाली. - नजीर बनारसी
अगरचे जोर हवाओं ने डाल रक्खा है मगर चराग ने लौ को संभाल रक्खा है. - अहमद फराज
अब भी रौशन हैं तेरी याद से घर के कमरे रौशनी देता है अब तक तेरा साया मुझको. - मुनव्वर राना
रात को जीत तो पाता नहीं लेकिन ये चराग कम से कम रात का नुकसान बहुत करता है. - इरफान सिद्दीकी
सभी के दीप सुंदर हैं हमारे क्या तुम्हारे क्या उजाला हर तरफ है इस किनारे उस किनारे क्या. - हफीज बनारसी
मेले में गर नजर न आता रूप किसी मतवाली का फीका फीका रह जाता त्योहार भी इस दीवाली का. - मुमताज गुर्मानी
राहों में जान घर में चरागों से शान है दीपावली से आज जमीन आसमान है. - ओबैद आजम आजमी