24 Oct 2024
रिपोर्टः विशाल शर्मा
राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर 1100 साल पुराना बताया जाता है. यहां दीपावली पर चांदी के सिक्के चढ़ाए जाते हैं.
दीपावली पर इस मंदिर में विशेष पूजा होती है. मान्यता है कि यहां व्यापारियों और श्रद्धालुओं को माता लक्ष्मी की कृपा और धन वर्षा का आशीर्वाद मिलता है.
मंदिर के पास स्थित 'चांदी की टकसाल' में पुराने समय में सोने-चांदी के सिक्कों की ढलाई होती थी, जो अब व्यापारियों के लिए एक धार्मिक स्थल है.
मंदिर की मूर्ति में माता लक्ष्मी का विग्रह तीनों लोकों – धरती, पाताल और स्वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे भक्तों को दिव्य दर्शन प्राप्त होते हैं.
पं. विक्रम कुमार शर्मा बताते हैं कि मंदिर के पास बाजार में लगभग हर दुकान का नाम महालक्ष्मी के नाम पर है. रियासत के समय यहां सबसे ज्यादा ज्वेलरी की दुकानें हुआ करती थीं.
महालक्ष्मी के साथ धन के रक्षक भैरोंजी महाराज और भोमिया जी की प्रतिमाएं भी मंदिर में स्थापित हैं, जो धन की सुरक्षा का प्रतीक मानी जाती हैं.
पहले रियासत काल में इस मंदिर में टकसाल के सिक्के चढ़ाने की परंपरा थी, जो आज भी दीपावली के दौरान जारी है.
मंदिर की मूर्ति माणक्य पाषाण पर उकेरी गई है, जिसमें शेषनाग, कमलासन और ऐरावत हाथियों सहित स्वर्ग और पाताल लोक का अद्भुत दृश्य दिखाया गया है. यहां बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं.
मान्यता है कि मंदिर के झरोखे से व्यापारियों पर धन वर्षा होती है, और वे अपने कारोबार के शुभारंभ और समापन के समय मंदिर में मत्था टेकने आते हैं. दर्शन करने मात्र से ही माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है.