तेरी शर्तों पे ही करना है अगर तुझको कबूल... अजहर फराग के चुनिंदा शेर

20 Dec 2023

By अतुल कुशवाह

शायर अजहर फराग का मूल नाम अजहर अमीन है. उनका जन्म 31 अगस्त 1980 को पाकिस्तान के ओकाड़ा में हुआ. वे नई पीढ़ी के मशहूर शायर हैं. युवाओं में लोकप्रिय हैं.

शायर अजहर फराग

Photo: Social Media

दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था ताले की ईजाद से पहले सिर्फ भरोसा होता था दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था ताले की ईजाद से पहले सिर्फ भरोसा होता था.

कोई भी शक्ल मेरे दिल में उतर सकती है एक रिफाकत में कहां उम्र गुजर सकती है तुझसे कुछ और ताल्लुक भी जरूरी है मेरा ये मोहब्बत तो किसी वक्त भी मर सकती है.

धूप में साया बने तन्हा खड़े होते हैं बड़े लोगों के खसारे भी बड़े होते हैं एक ही वक्त में प्यासे भी हैं सैराब भी हैं हम जो सहराओं की मिट्टी के घड़े होते हैं.

कमी है कौन सी घर में दिखाने लग गए हैं चराग और अंधेरा बढ़ाने लग गए हैं ये एतमाद भी मेरा दिया हुआ है तुझे जो मेरे मशवरे बेकार जाने लग गए हैं.

तेरी शर्तों पे ही करना है अगर तुझको कबूल ये सहूलत तो मुझे सारा जहां देता है.

कोशिशें कर के दिल बुरा किया था उस परिंदे को जब रिहा किया था कम अजीय्यत में जान छूट गई अपने कातिल से मशवरा किया था.

भंवर से ये जो मुझे बादबान खींचता है जरूर कोई हवाओं के कान खींचता है किसी बदन की सियाहत निढाल करती है किसी के हाथ का तकिया थकान खींचता है.

खतों को खोलती दीमक का शुक्रिया वर्ना तड़प रही थी लिफाफों में बेजबानी पड़ी.