27 Jan 2024
By अतुल कुशवाह
अंजुम रहबर का जन्म 17 सितंबर 1962 को मध्य प्रदेश के गुना जिले में हुआ था. इन दिनों वे भोपाल में रहती हैं. अंजुम रहबर मुशायरों की लोकप्रिय शायरा हैं.
Photo: Facebook/pexels
आग बहते हुए पानी में लगाने आई तेरे खत आज मैं दरिया में बहाने आई मैंने भी देख लिया आज उसे गैर के साथ अब कहीं जा के मेरी अक्ल ठिकाने आई.
रंग इस मौसम में भरना चाहिए सोचती हूं प्यार करना चाहिए प्यार का इकरार दिल में हो मगर कोई पूछे तो मुकरना चाहिए.
कुछ दिन से जिंदगी मुझे पहचानती नहीं यूं देखती है जैसे मुझे जानती नहीं समझाया बार-हा कि बचो प्यार व्यार से लेकिन कोई सहेली कहा मानती नहीं.
जिनके आंगन में अमीरी का शजर लगता है उनका हर ऐब जमाने को हुनर लगता है चांद तारे मेरे कदमों में बिछे जाते हैं ये बुज़ुर्गों की दुआओं का असर लगता है.
तुमको भुला रही थी कि तुम याद आ गए मैं जहर खा रही थी कि तुम याद आ गए उस वक्त रातरानी मेरे सूने सहन में खुशबू लुटा रही थी कि तुम याद आ गए.
मिलना था इत्तेफाक बिछड़ना नसीब था वो उतनी दूर हो गया जितना करीब था मैं उसको देखने को तरसती ही रह गई जिस शख्स की हथेली पे मेरा नसीब था.
जंगल दिखाई देगा अगर हम यहां न हों सच पूछिये तो शहर की हलचल हैं लड़कियां अंजुम तुम अपने शहर के लड़कों से ये कहो पैरों की बेड़ियां नहीं पायल हैं लड़कियां.
चांद बन जाते सितारों का बदल बन जाते धड़कनें लिखती हैं जिसको वो गजल बन जाते मानो दौलत से नहीं दिल से बना करते हैं वरना दुनिया में कई ताजमहल बन जाते.