महाराष्ट्र के अकोला में ढाई हजार आबादी वाला कवठा गांव है. पीने के पानी के लिए लोग नदी के झरने के अशुद्ध पानी पर निर्भर हैं.
बालापुर तहसील में आने वाले इस इलाके में पानी समुद्र से भी ज्यादा खारा है. गांव वालों के लिए न कोई नल योजना है, न कोई फिल्टर योजना.
पिछले 35 सालों से खारे पानी की समस्या का अब तक कोई लोकप्रतिनिधि या प्रशासन हल नहीं निकाल सका. इसके चलते युवकों की शादी नहीं हो रही है.
लड़की वाले कहते हैं कि लिखित में दो कि शादी के बाद इस गांव में नहीं रहोगे. यदि रहोगे भी तो लड़की को पानी भरने के लिए नदी तक नहीं भेजोगे.
गांव के इंजीनियर राहुल ने कहा कि मैं पुणे में जॉब करता हूं. गांव में नहीं रहने का कमिटमेंट करने के बाद ही मुझे मेरे ससुर ने शादी पक्की की थी.
पूरे साल यहां पानी की किल्लत रहती है. मगर, गर्मी में स्थिति बहुत विकराल हो जाती है. बच्चे भी स्कूल जाने से पहले फ्रेश होने और नहाने के लिए नदी में बने इस गड्ढे से पानी लेने जाते हैं.
नदी किनारे पानी रोकने के लिए बैराज भी बना है. मगर, यह ज्यादातर समय सूखा ही रहता है. पानी के लिए यहां साल भर लोग तरसते रहते हैं.