4 Feb 2024
By अतुल कुशवाह
अंबरीन हसीब अंबर का जन्म 23 जून 1981 को पाकिस्तान में सिंध प्रांत के कराची में हुआ था. अंबरीन मुशायरों में बेहद लोकप्रिय हैं.
Photo: Facebook/pexels
खुशी का लम्हा रेत था सो हाथ से निकल गया, वो चौदहवीं का चांद था अंधेरी शब में ढल गया मचल रहा था दिल बहुत सो दिल की बात मान ली, समझ रहा है नासमझ कि दांव उसका चल गया.
मैं उसे देख रही हूं बड़ी हैरानी से जो मुझे भूल गया इस कदर आसानी से खुद से घबरा के यही कहती हूं औरों की तरह खौफ आता है मुझे शहर की वीरानी से.
तुम्हारा जो सहारा हो गया है भंवर भी अब किनारा हो गया है मोहब्बत में भला क्या और होता मेरा ये दिल तुम्हारा हो गया है.
मैंने सोचा है रातभर तुम को काश हो जाए ये खबर तुम को जिंदगी में कभी किसी को भी मैंने चाहा नहीं मगर तुम को.
ध्यान में आकर बैठ गए हो तुम भी नां मुझे मुसलसल देख रहे हो तुम भी नां दे जाते हो मुझ को कितने रंग नए जैसे पहली बार मिले हो तुम भी नां.
दुनिया तो हम से हाथ मिलाने को आई थी हम ने ही एतबार दोबारा नहीं किया मिल जाए खाक में न कहीं इस खयाल से आंखों ने कोई इश्क सितारा नहीं किया.
वो मसीहा न बना हमने भी ख्वाहिश नहीं की अपनी शर्तों पे जिए उससे गुजारिश नहीं की हम तो सुनते थे कि मिल जाते हैं बिछड़े हुए लोग, तू जो बिछड़ा है तो क्या वक्त ने गर्दिश नहीं की.
चराग घर में जला नहीं है ये रात का मसअला नहीं है ये रात तुम से नहीं कटेगी ये हिज्र है रतजगा नहीं है.