हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाता है. इस बार अक्षय तृतीया 10 मई को मनाई जाएगी.
इस दिन सूर्य मेष में और चंद्रमा वृषभ में यानी दोनों ही अपनी उच्च राशि में विराजमान होते हैं इसलिए दोनों की सम्मिलित कृपा का फल अक्षय हो जाता है.
अक्षय का अर्थ होता है- जिसका क्षय ना हो. मानते हैं कि इस तिथि को किए कार्यों के परिणाम का क्षय नहीं होता.
माना जाता है कि इस दिन परशुराम नर नारायण, हयग्रीव का अवतार हुआ था. इसी दिन से बद्रीनाथ के मंदिर के कपाट भी खुलते हैं.
इसी दिन वृंदावन में भगवान बांके बिहारी के चरणों के दर्शन भी होते हैं. अक्षय तृतीया के दिन वस्तुओं की खरीदारी की जाती है.
अक्षय तृतीया को लेकर मान्यता है कि इस दिन सोना खरीदना सबसे ज्यादा शुभ होता है.
तृतीया तिथि का प्रारंभ 10 मई को सुबह 4 बजकर 17 मिनट से लेकर 11 मई को सुबह 2 बजकर 50 मिनट तक रहेगी.
अक्षय तृतीया का पूजन मुहूर्त सुबह 5 बजकर 33 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में आप सोना या चांदी की खरीदारी कर सकते हैं.
अक्षय तृतीया पर सूर्योदय के समय शीतल जल से स्नान करें. इसके बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें.
उन्हें सफेद फूल, फल और मिठाई अर्पित करें. फिर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें. मनोवांछित फल के लिए प्रार्थना करें इसके बाद कुछ दान का संकल्प करें.