25 Sep 2024
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कई लोग जो कथा सुनने जाते हैं तो वहां से उनके जूते-चप्पल भी चोरी हो जाते हैं. ऐसा होना सही है या गलत है और यह किस बात का संकेत है, इस बारे में अनिरुद्धाचार्य महाराज ने बताया है.
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अनिरुद्धाचार्य महाराज के ऑफिशिअल यूट्यूब पर एक वीडियो है जिसमें उन्होंने बताया इस बारे में बताया है.
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अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कहा, 'अभी कथा पूरी होगी तो कुछ मैया कहेंगी, महाराज हमारी चप्पल चोरी हो गई. कथा सुनने आए थे, चप्पल ही ले गए.'
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'तीन घंटे कथा सुनते हैं, पर रोते किसके लिए हैं, चप्पल जूते के लिए.'
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'चप्पल-जूते से आपका मन नहीं हट रहा है इसलिए हमारे कन्हैया वृंदावन में साढ़े दस साल रहे और नंगे पांव रहे.'
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'वृंदावन आए हो चप्पल-जूता कमरे में उतार दो जहां रुके हो और ब्रज मंडल में नंगे पांव चलो ताकि आपके शरीर से यहां की रज का स्पर्श बना रहे.'
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'जिससे चप्पल-जूता चोरी होने की संभावनाए भी खत्म हो जाए और आपका ध्यान चप्पल जते से हटकर सीधा कथा में लगे.'
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'अब या तो इतने महंगे चीज मत पहनो. अगर पहने हो और अगर चोरी हो जाए तो इतना बढ़ा दिल रखो कि चले जाएं तो रोओगे नहीं. या फिर पहनो ही मत.मन को हटाओ चीजों से.'
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'सादा जीवन जियो. ज्यादा चमक-धमक दिखावे के चक्कर में मत रहो. धाम में आए हो तो ध्यान भगवान का हो न कि चीजों का हो. अगर आपका ध्यान वहीं लगा रहेगा तो आप भगवान में ध्यान नहीं दे पाएंगे.'
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'आज भक्तों के अंदर त्याग नहीं है.भक्ति करते तो हैं पर वस्तुओं से बिल्कुल चिपके हुए हैं. माला जपेंगे लेकिन आंखें इधर-उधर घूमने लगती हैं.'
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'ध्यान ऐसा करो कि भगवान और आपके बीच कोई नहीं होना चाहिए. आंख बंद हों तो भगवान सामने खड़े दिखना चाहिए.'
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