प्रेमानंद महाराज के पास वृंदावन पहुंचे अनिरुद्धाचार्य, पत्नी-बच्चे भी थे साथ, मिली ये जरूरी सलाह

28 Jan 2024

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डॉ. अनिरुद्धाचार्य महाराज सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में बने रहते हैं. उनका जन्म 27 सितंबर 1989 को मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से 9 किलोमीटर की दूर रेवझा नाम के गांव के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था.

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हाल ही में अनिरुद्धाचार्य महाराज प्रेमानंद महाराज के दर्शन के लिए अपनी पत्नी और दोनों बेटों के साथ पहुंचे. 

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प्रेमानंद महाराज ने उन्हें सीख देते हुए कहा, 'धर्म की प्रधानता रहे और वाणी शास्त्र संयम रहे. अर्थ चरणों में रहे. मस्तक पर कभी अर्थ ना चढ़ने पावे. मस्तक तो सिर्फ भगवान के लिए है.' 

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'जिसे तुम सहयोगी समझ रहे हो वही तुम्हे नीचा दिखाने की कोशिश करेगा. बहुत समय तक टिके रहना है, धर्म क्षेत्र में तो आपको अपने पैरों के बल खड़े होना पड़ेगा.' 

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'प्रसन्न रहो और हमारे सनातन धर्म को आगे बढ़ाओ. जो आप कभी कोई सत्संग करो, उसमें नाम की प्रधानता जरूर करो.' 

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'कलयुग में केवल नाम के द्वारा कल्याण हो सकता है. घर बैठे सब होगा अपने आप सब आएगा तू चिंता मत कर. तू आगे बढ़ और भगवान सहयोगी है.' 

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'हमें ये बहुत अच्छा लगा कि जैसे सैकड़ों माताएं हैं ना, बहुत उत्तम बात है बच्चा. बूढ़े-बाड़े इनकी कोई सेवा नहीं कर रहा, उनकी सेवा करना बहुत बड़ी बात है.' 

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'इससे भगवान बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं कि सैकड़ो माताएं इनका भरण पोषण के लिए हम कहीं जाने ज्यादा परेशान मत हो.' 

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'अपने आप सारी व्यवस्था होती हैं. जो धर्म से चलता है, परोपकार करता है जो भगवान का यश गाता है, अपने आप व्यवस्था होती है. तुम उसकी चिंता मत करना तुम अपनी निष्ठा पे रहो.'

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