18 Feb 2025
AajTak.In
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हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद मृतक को मुखाग्नि दी जाती है. क्या आपने कभी सोचा है कि मृतक का अंतिम संस्कार हमेशा बेटा ही क्यों करता है.
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गरुड़ पुराण के अनुसार, घर में किसी सदस्य की मृत्यु होने पर केवल बेटे, भाई या किसी पुरुष को ही अंतिम संस्कार का अधिकार दिया गया है.
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इसका एक खास कारण भी है. अंतिम संस्कार वंश परंपरा का हिस्सा है. इसलिए अंतिम संस्कार का अधिकार केवल उन्हें दिया गया है, जो आजीवन वंश से जुड़े रहेंगे.
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चूंकि बेटी या लड़की विवाह के बाद किसी दूसरे परिवार से जुड़ जाती है. इसलिए उन्हें मृतक को मुखाग्नि देने का अधिकार नहीं दिया गया है.
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दूसरा, मृत्यु के बाद परिवार के लोग पितृ बन जाते हैं और किसी भी सदस्य के अंतिम संस्कार में वंश की भागीदारी होना अनिवार्य है.
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इसलिए केवल पुत्र ही अंतिम संस्कार कर सकता है. हालांकि कुछ मामलों में अगर बेटा या भाई न हो तो बेटियां भी अंतिम संस्कार कर सकती हैं.
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शास्त्रों के अनुसार, पुत्र शब्द के सन्धिविच्छेद करने पर इसका एक खास अर्थ निकलकर आता है. 'पु' यानी नरक और 'त्र' यानी की त्राण.
इस हिसाब से पुत्र का अर्थ हुआ नरक से निकालकर लाने वाला. यही कारण है कि घर में मृतक को मुखाग्नि के लिए पुत्रों को प्राथमिकता दी जाती है.
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