आषाढ़ माह शुक्ल प्रतिपदा से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ होती है. यह नवरात्रि तंत्र क्रियाओं हेतु विशेष मानी जाती है.
गुप्त नवरात्रि 6 जुलाई यानी कल से शुरू होने जा रही है और इसका समापन 15 जुलाई, सोमवार को होगा.
आषाढ़ी गुप्त नवरात्रि काल शाक्य व शैव धर्मावलंबियों हेतु वामाचार क्रियाओं व साधनों हेतु शुभ माना जाता है. इस काल में मूलतः शिव-शक्ति अर्थात महाकाल व महाकाली की पूजा की जाती है.
साथ ही दक्षिणी, योगिनी, भैरवी साधना के साथ पंचमकार की साधना भी इसी काल में की जाती है. इस काल में गुप्त साधनाओं की पूर्ति के कारण ही इसका नाम गुप्त नवरात्रि है.
ज्योतिषियों के अनुसार, गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा इस बार घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं. जो कि बेहद खास माना जाता है.
गुप्त नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 6 जुलाई यानी कल सुबह 4:26 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 7 जुलाई को सुबह 4:26 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, गुप्त नवरात्रि 6 जुलाई यानी कल ही मनाई जाएगी.
कल कलशस्थापना का मुहूर्त सुबह 5:29 मिनट से लेकर सुबह 10:07 मिनट तक रहेगा और साथ ही अभिजीत मुहूर्त में भी कलशस्थापना की जा सकती है.
घटस्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:58 मिनट से लेकर दोपहर 12:58 मिनट तक रहेगा.
इसमें 9 दिनों के लिए कलश की स्थापना की जा सकती है. इस दिन दोनों वेला में मंत्र जाप, चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. साथ ही दोनों की आरती करना भी अच्छा होगा.
मां के लिए लाल फूल सर्वोत्तम होता है. लेकिन, मां को आक, मदार, दूब और तुलसी बिल्कुल ना चढ़ाएं. पूरे नौ दिन अपना खान पान और आहार सात्विक रखें.