राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद अब रामलला के दर्शन करने आम भक्त भी जा सकते हैं.
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मंदिर में रामलला को 5 साल के बालक के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है.
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मंदिर के पुजारी अरुण दीक्षित ने न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा है, 'रामलला को अब बालकराम नाम से जाना जाएगा क्योंकि वह 5 साल के बच्चे के रूप प्रतिष्ठित हैं.'
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मूर्ति के आभूषणों को लखनऊ के अंकुर आनंद के हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स ने तैयार किया है और वस्त्रों को दिल्ली के डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने तैयार किया है.
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आम भक्तों को दर्शन देने के बाद बालकराम की दिनभर की दिनचर्चा निर्धारित की गई है जिसमें उनके उठने से लेकर सोने तक का समय है.
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बालकराम की रोजाना सुबह 6 बजे मंगला आरती होगी. यह दिन की पहली आरती होती है. मंगला आरती से सोए हुए भगवान को निद्रा से जगाया जाता है.
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सुबह 7 बजे बालकराम की श्रृंगार आरती होगी जिसमें बाल भोग लगाया जाएगा.
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दोपहर 12 बजे राजभोग और मध्याह्न आरती होगी. इसमें भगवान को भोग लगाया जाता है.
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रात 8 बजे बालकराम की संध्या आरती होगी. दिन की आखिरी आरती रात 10 बजे होगी जिसे शयन आरती कहते हैं. इस आरती के द्वारा भगवान को सुलाया जाता है.
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