8 Oct 2024
वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज ने अपने एक वीडियो में बताया है कि उन्होंने अपना घर छोड़ने से पहले अपनी मां से क्या कहा था.
एक किस्सा सुनाते हुए प्रेमानंद महाराज ने कहा, 'जब हम सात-आठ-नौ इस कक्षा में थे तो हमारे अंदर एक ही बात आती थी कि ये सब मरने वाले हैं.'
'माताजी मर जाएंगी, पिताजी मर जाएंगे. कौन हमारा है? तब लगा जो हमारा नहीं है, उसपे हम क्यों अपना समय दे रहे हैं.'
'बस मन के अंदर आता था, भागो. जिस दिन घर से निकलना था तो मां को बोला था कि माता जी कल हम सुबह भाग जाएंगे.'
'घर से भागकर बाबाजी बन जाएंगे. तो उन्होंने इसे मजाक समझा. हमारा तो था कि एक बार कान में डाल दें बस, बात की कोई परेशान ना हो.'
'उस समय हमारे मन ने प्रश्न किया, कहां खाओगे, कहां रहोगे, कौन है तुम्हारा?'
'फिर मन में एक जवाब आया भगवान. इतनी छोटी अवस्था में पंद्रह किलोमीटर जाने के बाद एक संत मिले थे वहां जाकर विश्राम लिया था.'
'फिर दही पिया और शंकर जी से लिपट के रोए की हमें विश्वास है कि आप हमारा जीवन सुधारोगे.'
'शंकर जी की भक्ति प्रारंभ में थी और तब से अब कितने जीवन के वर्ष व्यतीत हो गए. पचपन वर्ष की आयु हो गई है.'