भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध में अर्जुन को कुछ उपदेश दिए थे, जिससे अर्जुन के लिए युद्ध जीतना आसान हो गया था.
कहा जाता है कि गीता में जीवन का सार है. इसे अपने जिंदगी में शामिल करके अपने लक्ष्य को पाया जा सकता है.
एक बार अर्जुन भगवान श्री कृष्ण से पूछते हैं, 'कभी-कभी मनुष्य पाप करने के लिए इतना विवश क्यों हो जाता है? उसे कौन विवश करता है?'
इसका जवाब देते हुए श्री कृष्ण कहते हैं, 'मनुष्य की वासना और निहित स्वार्थ उसे पाप करने के लिए विवश करता है.'
भगवान कहते हैं, ' मनुष्य का क्रोध और मोह उससे पाप करवाता है. इन शत्रुओं को पहचानना जरूरी है.'
क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्याग्र होती है, जिससे तर्क का नाश होता है. इससे व्यक्ति का पतन हो जाता है.
मनुष्य के मन और इंद्रियों में कामना का वास होता है. कामना ही मनष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है और यही पतन का भी कारण है.
भगवान श्री कृष्ण आगे कहते हैं, 'जैसे धुंआ अग्नि को ढंक देता है. उसी तरह काम, मोह और वासना मनुष्य के ज्ञान को ढंक देता है.
काम और मोह के अग्नि ज्ञान को नष्ट कर देती है. इसलिए यह मनुष्य के लिए यह सबसे बड़ा दुश्मन है.