16 नवंबर को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदिशी तिथि है और इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है.
हर प्रदोष व्रत के दिन पूरे विधि विधान से भगवान शंकर की पूजा की जाती है.
जो प्रदोष मंगलवार के दिन पड़ता है उसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है.
भौम प्रदोष व्रत में शिव के साथ हनुमान जी की भी पूजा की जाती है.
मान्यता है कि इस दिन प्रदोष व्रत कथा पढ़ने या सुनने वालों के सारे संकट दूर हो जाते हैं.
प्रदोष व्रत करने वाले भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए.
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करने के बाद शंकर भगवान का गंगा जल से अभिषेक करें और पुष्प अर्पित करें.
भौम प्रदोष के दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की भी पूजा करें.
इस दिन भगवान हनुमान को घी की नौ बाती वाला दीपक जलाने से हर तरह के कर्ज से मुक्ति मिलती है.
स्कंदपुराण के अनुसार जो भक्त प्रदोष व्रत के दिन शिवपूजा के बाद एकाग्र होकर प्रदोष व्रत कथा सुनता या पढ़ता है उसे सौ जन्मों तक कभी दरिद्रता नहीं होती है.