ज्योतिषशास्त्र में नौ ग्रहों के उपायों के लिए नौ रत्न और विभिन्न उपरत्नों का विशेष योगदान होता है.
रत्नशास्त्र के अनुसार नीलम शनि का मुख्य रत्न है. जो काफी प्रभावशाली माना जाता है.
शनि ग्रह को संतुलित करने और शुभ लाभ प्राप्त करने के लिए नीलम रत्न को धारण किया जाता है.
यदि नीलम रत्न किसी व्यक्ति को रास आ जाए तो शुभ एवं लाभकारी फल देता है.
लेकिन दोषपूर्ण स्थिति में नीलम रत्न धारण करने से लाभ की जगह हानि भी हो सकती है.
रत्नशास्त्र के मुताबिक नीलम धारण करते वक्त सावधान रहना जरूरी है.
आइए जानते हैं नीलम धारण करने से पहले किन नियमों का ध्यान रखना चाहिए.
बिना कुंडली और शनि को जाने नीलम नहीं पहनना चाहिए. इसे चांदी के साथ धारण करने की कोशिश करनी चाहिए.
नीलम को बायें हाथ में पहनना चाहिए. नीलम को शनिवार मध्य रात्रि में धारण करना उपयुक्त माना जाता है.
साथ ही शनिवार के दिन मदिरा पान और तामसिक भोजन बिल्कुल न करें.
ऐसी मान्यता है कि मेष, वृष, तुला एवं वृश्चिक राशि के लोगों के लिए नीलम रत्न धारण करना अनुकूल एवं शुभ रहता है.
नीलम रत्न धारण करने से पहले उसे एक नीले कपड़े में लपेटकर अपने तकिये के नीचे एक सप्ताह तक रखें.
इस दौरान ध्यान दें कि आपको नींद कैसी आ रही है. यदि अच्छी नींद आए तो समझें कि लाभकारी है.
सोते समय बेचैनी महसूस हो तो इसका मतलब है कि आपके लिए नीलम धारण करना शुभ संकेत नहीं है.