भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का पर्व भाई दूज कार्तिक शुक्ल की द्वितीय तिथि को होता है.
इस दिन बहनें अपने भाई के तिलक कर उनकी लंबी आयु की कामना के लिए पूजा करती हैं.
मान्यता के अनुसार जो भाई इस दिन बहन के घर जाकर भोजन ग्रहण करता है और तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है.
इस दिन यदि किसी बहन का भाई दूर है और उसके घर नहीं आ सकता है, तो परेशान होने की आवश्यकता नहीं हैं.
ज्योतिष में इसे लेकर कुछ खास नियम हैं, जिन्हें करने से उन्हें भाई के दूर होते हुए भी इस पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त होगा.
बहनें इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके साफ वस्त्र पहन लें. इसके बाद पूजा स्थल या फिर जहां आपको पूजा करनी हो उस स्थान को साफ कर लें.
आपके जितने भी भाई हैं, जो आपसे दूर हैं उतने ही बाजार से गोले लेकर आएं. एक चौकी पर उन गोलों को भाई मानकर पीले रंग के वस्त्र पर स्थापित करें.
गोलों को स्थापित करने के बाद चौकी पर अष्टदल कमल बनाएं. अगर ऐसा नहीं कर सकती हैं, तो गुलाब के फूल लेकर उस चावल रखें और उस पर गोले को स्थापित कर लें.
भाई दूज के दिन बहनों को भाई का तिलक करने से पहले कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए. भाई दूज के दिन बहनों को अपने भाई की पसंद का ही खाना बनाना चाहिए.
इसके बाद मिश्रित जल रख लें और गोले को गंगाजल मिश्रित जल से स्नान कराएं और उस पर रोली और चावल से तिलक करके फूल चढ़ाएं.
इसके बाद भाई स्वरूप गोलों को जल अर्पित करें. इसके लिए आपको स्टील के गिलास या लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए.
जल अर्पित करने के बाद उन गोलों की आरती उतारें और उन्हें पीले रंग के कपड़े से ढक दें. इसके बाद उन गोलों को शाम तक उसी चौकी पर ही रहने दें.
यमराज से अपने भाई की लंबी उम्र और उनकी सभी प्रकार कष्टों से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें.
अगले दिन उन गोलों को पूजा स्थान से उठाकर अपने पास सुरक्षित रख लें और अगर भाई के पास भेज सकती हों तो भाई के पास भेज दें.