By: Aaj Tak

गौतम बुद्ध ने क्यों कहा था कि हर इंसान की '4 पत्नियां' होनी चाहिए?


वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है. क्या आप जानते हैं कि गौतम बुद्ध ने एक बार कहा था कि हर इंसान की 4 पत्नियां होनी चाहिए.


इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. बुद्ध के प्रारंभिक उपदेश वाले 32 आगम सूत्रों में से एक में इस कहानी का जिक्र है.


एक आदमी की 4 पत्नियां थीं. प्राचीन भारत की सामाजिक व्यवस्था में एक पुरुष कई पत्नियां रख सकता था. एक बार वो व्यक्ति बीमार पड़ गया.

बुद्ध की 4 पत्नियों की कहानी


समय बीतता गया और उसे अपनी मृत्यु करीब दिखने लगी. उसने चारों पत्नियों को बुलाया और बारी-बारी उनसे अपने साथ चलने को कहा.


व्यक्ति ने अपनी पत्नियों से कहा, 'मैंने तुम्हें दिन-रात प्यार किया, उम्र भर तुम्हारा ख्याल रखा. अब मैं मरने वाला हूं, क्या तुम मेरे साथ चलोगी?'


पहली पत्नी ने जवाब दिया, 'मुझे पता है कि आप मुझसे प्यार करते हो. लेकिन मैं मृत्यु के समय आपके साथ नहीं आ सकती. अलविदा प्रिय.'


दूसरी पत्नी का जवाब, 'आपकी पहली पत्नी ने आपके साथ आने से इनकार कर दिया तो फिर मैं भला आपके साथ कैसे जा सकती हूं?'


तीसरी पत्नी का जवाब, 'मुझे आप पर दया आ रही है और अपने लिए दुख भी है. इसलिए मैं अंतिम संस्कार तक साथ रहूंगी. पर इससे आगे नहीं.'


व्यक्ति ने चौथी पत्नी के साथ हमेशा एक दासी की तरह व्यवहार किया था. इसलिए उसे लगा कि मृत्यु के बाद वो कभी उसके साथ नहीं आएगी.


फिर भी उसने चौथी पत्नी से भी दूसरी दुनिया में साथ चलने का आग्रह किया. चौथी पत्नी ने तुरंत पति का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया.


चौथी पत्नी का जवाब, 'मैं आपके साथ जाऊंगी. कुछ भी हो, मैं हमेशा साथ रहने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं. मैं आपसे अलग नहीं हो सकती.'


बुद्ध ने कहानी समाप्त करते हुए कहा, 'हर पुरुष और महिला की चार पत्नियां या पति होते हैं और हर एक का खास मतलब होता है.

4 पत्नियों का क्या है मतलब?


पहली पत्नी या साथी हमारा शरीर होता है, जिसे हम दिन-रात प्यार करते हैं. लेकिन दुर्भाग्य से जीवन के अंत में शरीर कभी साथ नहीं जाता.


दूसरी 'पत्नी' हमारा भाग्य, भौतिक चीजें, धन, संपत्ति हैं. जिनके लिए हम सारा जीवन मेहनत करते हैं. मृत्यु के बाद ये भी साथ नहीं जाता हैं.


तीसरी 'पत्नी' का अर्थ रिश्ते-नातों से है. मृत्यु के बाद माता-पिता, भाई-बहन, रिश्तेदार या दोस्त कभी साथ नहीं जाते हैं. सब यहीं छूट जाता है.


चौथी 'पत्नी' हमारा मन या चेतना है. क्रोध, लोभ और असंतोष कर्म के नियम हैं. हम अपने कर्म से कभी पीछा नहीं छुड़ा सकते हैं.


जैसा कि बुद्ध की कहानी में चौथी 'पत्नी' ने अपने मरते हुए पति से कहा था, 'तुम जहां भी जाओगे, मैं तुम्हारे पीछे चलूंगी.

Photo: Getty Images
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