मां दुर्गा को समर्पित नवरात्रि साल में दो बार आते हैं. पहले चैत्र नवरात्रि और फिर शारदीय नवरात्रि. इस बार चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से लेकर 17 अप्रैल तक रहेंगे.
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी चैत्र प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना के बाद ही मां दुर्गा के नवस्वरूपों की पूजा-उपासना शुरू होती है.
घटस्थापना में देवी की चौकी लगाई जाती है. उसके बगल में श्रद्धापूर्वक कलश स्थापित किया जाता है. मिट्टी के बर्तन में जौ बोने बोई जाती है.
वास्तु के अनुसार, नवरात्रि के पवित्र दिनों में देवी की चौकी सही दिशा में लगाने से उत्तम परिणाम मिलते हैं. इससे व्रत-उपासना का पर्याप्त फल साधक को मिलता है.
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वास्तु के जानकारों का कहना है कि माता की चौकी घर के ईशान कोण में लगाना सबसे उत्तम होता है. घर की उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण कहते हैं.
चैत्र नवरात्रि में देवी की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए ईशान कोण में एक लकड़ी की चौकी रखें. इस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं.
चौकी के चारों ओर गंगाजल का छिड़काव करें और देवी की प्रतिमा चौकी पर रखें. इसके बाद चौकी के सामने पूजन सामग्री, फल मिठाई और अखंड ज्योति प्रज्वलित करें.
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इसके बाद चौकी के बगल में कलश स्थापित करें. कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करें. इस बार कलश स्थापना का मुहूर्त सुबह 6.02 बजे से 10.16 बजे तक रहेगा.