चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. इस साल चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू होंगे और 17 अप्रैल को महानवमी के साथ इसका समापन होगा.
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इस बार चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आने वाली है. दरअसल, नवरात्रि में देवी की सवारी वार के आधार पर तय होती है.
जब नवरात्रि का शुभारंभ मंगलवार से होता है तो देवी घोड़े पर सवार होकर आती हैं. आइए जानते हैं कि घोड़े पर सवार देवी क्या संकेत देती है.
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चैत्र नवरात्रि में देवी घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं. इसे छत्रभंगे स्तुरंगम कहा जाता है. यानी माता रानी जब घोड़े पर सवार होकर आती हैं तो इसे शुभ नहीं माना जाता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, देवी जब घोड़े पर सवार होकर आती हैं तो समाज और राजनीति में बड़ी उथल-पुथल होती है. विवाद और युद्ध की संभावनाएं बढ़ती हैं.
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साथ ही, प्राकृतिक आपदा, दुर्घटनाएं, झगड़े और तनाव का माहौल भी बना रहता है. हालांकि इसमें साधक की समस्याएं दूर रहती हैं.
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नवरात्रि की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर कलश स्थापना के साथ होती है. कलश स्थापना के बाद ही देवी के स्वरूपों की उपासना और व्रत प्रारंभ होते हैं.
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इस बार चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 9 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 11 मिनट से सुबह 10 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. इसे घटस्थापना भी कहते हैं.