चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से हो चुकी है और नवरात्रि का समापन 17 अप्रैल, रामनवमी के दिन होगा.
चैत्र नवरात्रि में दो दिन सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं अष्टमी की तिथि और दूसरी नवमी की तिथि. इसलिए, इन्हें महा अष्टमी और महा नवमी कहते हैं.
महा अष्टमी तिथि के दिन नवदुर्गा के आठवें स्वरूप माता महागौरी की उपासना की जाती है.
ज्योतिषियों की मानें तो, महा अष्टमी के दिन बहुत सारे लोग विशेष उपवास भी रखते हैं. अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन का भी प्रावधान है.
अष्टमी तिथि पर पूजा से मनचाहे विवाह का वरदान मिलता है और साथ ही मां दुर्गा सभी इच्छाएं पूरी करती हैं.
इस बार अष्टमी तिथि की पूजा 16 अप्रैल को है. अष्टमी तिथि इस बार 15 अप्रैल को दोपहर 12:11 मिनट पर शुरू होगी और समापन 16 अप्रैल को दोपहर 1:23 मिनट पर होगा. तो इस बीच कभी भी कन्या पूजन किया जा सकता है.
अष्टमी तिथि के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण भी हो रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:16 मिनट से लेकर सुबह 5:53 मिनट तक रहेगा और रवि योग का भी यही मुहूर्त रहेगा. इन योगों में भी कन्या पूजन किया जा सकता है.
इसके अलावा इस दिन अभिजीत मुहूर्त में भी कन्या पूजन किया जा सकता है. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:55 से लेकर दोपहर 12:47 मिनट तक रहेगा.
इस दिन कम से कम 9 कन्याओं को आमंत्रित करें. मान्यतानुसार 2 से 10 वर्ष की कन्या उत्तम होती हैं. अलग अलग उम्र की कन्या देवी के अलग अलग रूप को बताती हैं.
उसके बाद उन्हें ऊंचे आसन पर बैठाकर उनकी पूजा करें. उनके चरण साफ जल से धुलाएं. उन्हें चुनरी ओढ़ाकर माला पहनाएं और फिर उन्हें सात्विक भोजन खिलाएं, विशेष रूप से हलवा पूरी खिलाएं.
भोजन के बाद उन्हें दक्षिणा और उपहार देकर, चरण स्पर्श करके उन्हें श्रद्धापूर्वक विदा करें.