हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व को बहुत ही ज्यादा पावन और पवित्र माना जाता है. ये पर्व देशभर में मनाया जाता है.
नवरात्रि के नौ दिनों में माता रानी के भक्त व्रत रखते हैं और विधिपूर्वक उनकी पूजा करते हैं.
इसके अलावा नवरात्रि के ये पावन दिन शुभ कार्यों के लिए बेहद ही उत्तम माने जाते हैं. इन दिनों बिना कोई मुहूर्त देखे कई शुभ कार्य किए जाते हैं.
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, साथ ही लोग अपने घरों में कलश की स्थापना करते हैं और नौ दिनों तक अखंड ज्योति भी जलाते हैं.
इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल, मंगलवार यानी आज से हो रही है और समापन 17 अप्रैल, बुधवार को होगा.
चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि इस बार 8 अप्रैल को रात 8:50 मिनट पर शुरू होगी और समापन 9 अप्रैल को रात 8:30 मिनट पर होगा.
इस दिन कलशस्थापना का मुहूर्त सुबह 6:02 मिनट से लेकर 10:16 मिनट तक रहेगा. कलशस्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:57 मिनट से दोपहर 12:48 मिनट तक रहेगा.
वहीं, कलशस्थापना वैधृति योग निषेध मानी जाती है तो इसलिए वैधृति योग में भूल से भी घटस्थापना न करें.
कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर लेना चाहिए. एक लकड़ी का पटरा रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाना चाहिए. इस कपड़े पर थोड़ा चावल रखना चाहिए. चावल रखते हुए सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करना चाहिए.
उसके बाद एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें. उस पात्र पर जल से भरा हुई कलश स्थापित करना चाहिए. कलश पर रोली से स्वास्तिक या ऊं बनाना चाहिए. फिर कलश के मुख पर रक्षा सूत्र बांधें.
कलश में सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखें. फिर उसके ऊपर चुनरी लपेटकर एक नारियल रख दें. अंत में दीपक जलाकर कलश की पूजा करनी चाहिए.