आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में 5 चीजों का जिक्र किया है. ये चीजें किसी भी निवास स्थान के लिए जरूरी मानी गई हैं.
चाणक्य का कहना है कि जहां ये 5 चीजें उपलब्ध न हों, वहां किसी भी व्यक्ति को अपना घर नहीं बनाना चाहिए.
जहां रोजी-रोटी, आजीविका या व्यापार का कोई साधन व स्थिति न हो, वहां कभी घर बनाने की न सोचें.
पहली चीजव्यक्ति को अपने आवास के लिए साधन सम्पन्न और व्यावहारिक स्थान चुनना चाहिए ताकि वो परिवार के साथ सुखी रह सके.
जहां लोगों में लोकलाज व किसी प्रकार का भय न हो, ऐसे स्थान पर रहना मान-मर्यादा के लिए सही नहीं है.
दूसरी चीजऐसे स्थान पर व्यक्ति का कोई सम्मान नहीं होता और वहां रहना भी कठिन होता है.
चाणक्य कहते हैं कि जिस स्थान पर परोपकारी लोग न हों और जिनमें त्याग की भावना न पाई जाती हो, वहां रहने का कभी नहीं सोचना चाहिए.
तीसरी चीजजहां के लोगों में ईश्वर, लोक व परलोक में आस्था होती है वहीं सामाजिक आदर का भाव होता है.
जहां लोगों को समाज या कानून का कोई भय न हो वहां अराजकता की स्थिति रहती है. निवास स्थान ऐसी जगह पर नहीं होना चाहिए.
चौथी चीजचाणक्य के अनुसार जहां के लोग दान देना न जानते हों, वहां घर नहीं बनाना चाहिए.
पांचवी चीजऐसी जगह जहां लोग दूसरों का हित चाहते हों और वहां परिवार हमेशा सुखी रहता है.