आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के जीवन को सफल बनाने के लिए अपने नीति शास्त्र में कई तरीकों का वर्णन किया है.
आइए जानते हैं इनके बारे में.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इस दुनिया में आप हर चीज का मूल्य चुका सकते हैं, मगर सदगुरु के दिए ज्ञान का कर्ज नहीं चुका सकते हैं.
आचार्य चाणक्य के अनुसार वही व्यक्ति ज्ञानी है, जो सत्य बात बोलता है. वही श्रेष्ठ है, जो अपनी शक्ति के अनुरूप दूसरों की प्रेम से सेवा करे और जिसे क्रोध ना आए.
चाणक्य कहते हैं कि अगर विद्यार्थी अपने गुरु की सच्चे मन से सेवा करे, तो वह गुरु के पास अर्जित ज्ञान निधि का अधिकारी बन सकता है.
परोपकारी और करुणामयी व्यक्ति को किसी अन्य ज्ञान की या फिर किसी तरह की मुक्ति की आवश्यकता नहीं होती है. ऐसा व्यक्ति अन्य दिखावा करने वाले लोगों से बेहतर है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार दुष्ट व्यक्ति में पूर्ण रूप से विष से भरा होता है. इसलिए ऐसे व्यक्तियों से बचना चाहिए.