चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में मनुष्य के ऐसे 4 गुणों के बारे में बताया है जो जन्म से उन्हें प्राप्त होते हैं.
ये गुण जिनमें हों वो किसी भी कठिनाई पर आसानी से सफलता हासिल कर लेते हैं.
व्यक्ति इन गुणों के कारण नौकरी-व्यापार में कामयाबी हासिल करता है.
दान देने की इच्छा का गुण जन्म से व्यक्ति के स्वभाव में होता है.
यह ऐसा गुण है जिसे किसी के सिखाने से विकसित नहीं किया जा सकता.
सब्र रखना सबसे बेहतर गुण माना जाता है. इसके जरिए कठिन परिस्थितियों का आसानी से सामना किया जा सकता है.
चाणक्य ने मधुर वाणी को भी सबसे बेहतर गुण माना है.
चाणक्य ने उचित और अनुचित में परख करने के गुण को भी इस लिस्ट में शामिल किया है.