25 July 2024
By- Aajtak.in
आचार्य चाणक्य ने पिता-पुत्र के संबंधों पर कई जरूरी बातें कही हैं. चाणक्य कहते हैं कि पिता को बेटे की तारीफ से बचना चाहिए.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, किसी भी पिता को कभी समाज में लोगों के बीच बैठकर अपने पुत्र की प्रशंसा नहीं करनी चाहिए.
इंसान के लिए जिस तरह अपनी तारीफ करनी ठीक नहीं होती है, उसी तरह एक पिता को गुणी पुत्र की तारीफ करने से बचना चाहिए.
एक पिता का कर्तव्य है कि अपने बेटे को अच्छी चीजों के लिए उत्साहित करे लेकिन उसके गुणों का उल्लेख समाज में करने से पूरी तरह बचे.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, दूसरों के सामने बेटे की तारीफ करना आत्म-प्रशंसा जैसा ही है जो मनुष्य को मजाक का पात्र बना सकती है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, इन्हीं वजहों से कई बार लोगों का समाज में मजाक उड़ाया जाता है जिसका मानसिक तौर पर गलत असर होता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर आपका बेटा अच्छे गुणों वाला है तो यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं कि उसके यह गुण दूसरों को बताए जाएं.
अगर आप बार-बार समाज में पुत्र की तारीफ करते हैं तो काफी लोग आपकी बातों पर भरोसा करना छोड़ सकते हैं. इसलिए ऐसा न करना ही बेहतर है.
अगर पुत्र गुणवान है तो समाज में खुद ही उसका नाम हो जाता है. उसके गुणों की वजह से ही समाज में उस घर की इज्जत होती है.