आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इंसान को कुछ चीजों में कभी संकोच नहीं रखना चाहिए.
चाणक्य के अनुसार, इंसान को धन और अनाज के लेन-देन से जुड़े मामले में शर्म नहीं करनी चाहिए.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि धन के लेन-देन में इंसान को हमेशा बेशर्म होकर बात करनी चाहिए.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य के लिए उचित है कि वह लेन-देन का हिसाब-किताब कर ले.
इसी तरह शिक्षा लेने में भी इंसान को कभी लज्जा या संकोच नहीं करना चाहिए.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इंसान को कभी भी भोजन करने में शर्म नहीं करनी चाहिए.
इसी तरह इंसान को अपने संबंधियों से किसी भी प्रकार के व्यवहार में लज्जा नहीं करनी चाहिए.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, संबंधियों से व्यवहार मधुर, सत्य और साफ रहना चाहिए.
अंत में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को संकोच छोड़कर सच्ची बात करनी चाहिए और व्यावहारिक मार्ग अपनाना चाहिए.