आचार्य चाणक्य के अनुसार, मनुष्य अकेला ही इस संसार में जन्म लेता है.
मृत्यु के बाद मनुष्य अकेला ही इस संसार से विदा भी हो जाता है.
यहां तक कि हर एक इंसान मरने के बाद इंसान स्वर्ग या नर्क भी अकेले ही जाता है.
हालांकि, आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इंसान के कर्म जरूर उसके साथ जाते हैं.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, मनुष्य जो भी अच्छा या बुरा कर्म करता है, उसे अकेले ही भोगता है.
ऐसा कोई मनुष्य नहीं होता है, जिसके किए गए कर्मों को और कोई भोगता है.
इसलिए ही हर एक इंसान को खुद ही अपने कर्मों को भोगना पड़ता है.
इसी वजह से कहा जाता है कि हमेशा इंसान को जीवन में अच्छे कर्म ही करने चाहिए.
जो इंसान जीवन में बुरे कर्म करता है, उसका बुरा नतीजा भी उसे भोगना पड़ता है.