आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जीवन में ऐसे 3 लोग होते हैं, जिनसे पुरुषों को हमेशा सुख मिलता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, पुरुष को असली सुख सिर्फ संतान, पत्नी और सज्जनों की संगति में ही मिलता है.
चाणक्य का कहना है कि जब पुरुष कामकाज से थककर निढाल हो जाता है, तब इन 3 से ही मानसिक शांति मिलती है.
परिश्रम के बाद जब थका हुआ इंसान घर लौटता है और मुस्कुराती पत्नी उसका स्वागत करती है, तो वह सब परेशानी भूल जाता है.
उसी तरह अगर संतान आज्ञाकारी होती है तो उसके संस्कार देखकर इंसान के मन को शांति और खुशी मिलती है.
अगर वह संतान आज्ञाकारी न हो तो वह कई बार अपने पिता और परिवार के लिए बेइज्जती का कारण बन जाती है.
तीसरा सुख इंसान को उस सज्जन व्यक्ति से मिलता है, जो दुख के समय ज्ञानोपेदश देता है.
ऐसे इंसान के ज्ञान देने के प्रभाव से दुखी व्यक्ति का मन शांत और संयत हो जाता है.
वहीं आचार्य चाणक्य यह भी कहते हैं कि हमेशा धोखेबाज व मूर्ख लोगों से भी दूर रहना चाहिए, ये दुख का कारण बनते हैं.