आचार्य चाणक्य का कहना है कि दुष्ट या नीच कर्म करने वाला व्यक्ति ही नर्क भोगने का अधिकारी होती है.
आचार्य चाणक्य ने इन 5 तरह के अवगुण वाले व्यक्ति को नर्क की आत्मा के समान बताया है.
अत्यंत क्रोध, कटु वाणी, दरिद्रता, स्वजनों से वैर, नीच लोगों का साथ, कुलहीन की सेवा ही नर्क की आत्माओं के लक्षण हैं.
आशय यह है कि जो व्यक्ति दुष्ट होता है, उसका स्वाभाव क्रोधी होता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, ऐसे दुष्ट व्यक्ति की वाणी भी हमेशा कड़वी होती है.
ऐसे इंसान के मुख से कभी मीठे बोल नहीं निकल सकते हैं. वह सदा दरिद्र-गरीब ही रहता है.
चाणक्य के अनुसार, ऐसे व्यक्ति की बाहर तो छोड़िए घर के सदस्यों से भी दुश्मनी रहती है.
वहीं चाणक्य कहते हैं कि मित्र हमेशा समझदार और गुणी व्यक्ति को ही बनाना चाहिए.
किसी इंसान में अगर यह सब अवगुण दिख रहे हैं तो उसे नर्क की आत्मा का अवतार समझना चाहिए.