बर्बाद कर देती है ज्यादा दान की आदत, भिखारियों जैसी हो जाती है हालत

दान देना अच्छा माना जाता है. कहा जाता है कि दान देने वाले के पास कभी धन की कमी नहीं होती है.

हालांकि, आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी इंसान को अपनी हैसियत से ज्यादा दान नहीं देना चाहिए.  

आचार्य चाणक्य के अनुसार, मनुष्य को अपना हिसाब देखकर ही किसी दूसरे को दान करना चाहिए. 

जो लोग बिना सोचे समझे दान देने के चक्कर में अपना सबकुछ लुटा देते हैं, वे संकट भोगते हैं. 

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इंसान को उतना ही दान करना चाहिए, जितना दे पाने में वह सक्षम हो. 

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो अपनी हैसियत से ज्यादा दान देते हैं, उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ जाता है. 

इतिहास में ऐसे कई लोगों के उदाहरण है, जिन्होंने दान के चक्कर में भिखारियों जैसा जीवन गुजारा है. 

इसी वजह से दान देते समय अपनी धन-संपत्ति का पूरी तरह ध्यान रखना काफी ज्यादा जरूरी है. 

अगर आप बिना देखे दान में पैसा खर्च करेंगे तो उसका भारी नुकसान भविष्य में आपको झेलना पड़ सकता है.