आचार्य चाणक्य ने कुछ ऐसे लोगों का वर्णन किया है, जिनसे दोस्ती करने वाला हमेशा परेशान रहता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, ऐसे लोगों से दोस्ती कभी फायदा तो नहीं लेकिन नुकसान जरूर देती है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो मुंह पर मीठी और पीठ पीछे आपकी बुराई करे, उससे दूरी बेहतर है.
जो सामने मीठी बातें बोलकर अच्छा बनता हो और पीछे नुकसान देने की कोशिश करता हो, वह दोस्त जहर के समान है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, मुंह पर चिकनी-चुपड़ी बातें करने वाला दोस्त विष से भरे हुए घड़े समान होता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसे लोगों को दोस्त कहना ही ठीक नहीं होता है. जल्द से जल्द इन्हें त्यागना ही बेहतर होता है.
वहीं चाणक्य के अनुसार, जो लोग चुगलखोर किस्म के होते हैं, उनसे दोस्ती करना भी ठीक नहीं है.
ऐसे लोगों पर भूलकर भी विश्वास नहीं करना चाहिए. चुगलखोर किस्म के लोगों की दोस्ती हमेशा संकट को ही बुलावा है.
इसी वजह से चाणक्य ने कहा है कि दोस्ती करते समय हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि उस इंसान के भीतर कैसे गुण हैं.