आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इंसान को कर्ज, रोग और शत्रु को जल्द से जल्द खत्म कर देना चाहिए.
चाणक्य कहते हैं कि कर्ज यानी लोन अगर आपके ऊपर है तो जल्द से जल्द चुका दें.
अगर कर्ज इंसान को घेरे रखता है तो उसकी मानसिक स्थिति कभी ठीक नहीं रहती है.
कर्ज में डूबा इंसान अगर ज्यादा तनाव ले ले तो वह मौत के मुंह तक भी जा सकता है.
वहीं आचार्य चाणक्य के अनुसार, अगर कोई रोग लग जाए तो उसे भी जल्द से जल्द खत्म करना चाहिए.
चाणक्य के इस कथन का तात्पर्य है कि अगर कोई बीमार है तो उसे ठीक तरह से इलाज कराना चाहिए.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, शत्रु को भी जल्द से जल्द समाप्त कर देना ही बेहतर होता है.
हालांकि, आज के समय में इस कथन का अर्थ निकलता है कि लोगों को व्यर्थ में शत्रु नहीं बनाने चाहिए.
अच्छी वाणी बोलकर लोगों को दोस्त बनाना चाहिए, दुश्मन बनाने से जान या अन्य खतरा सिर पर रहता है.