30 July 2024
By- Aajtak.in
आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में चार ऐसे गुणों का वर्णन किया है जो दूसरों से नहीं सीखे जा सकते हैं और ना ही अभ्यास के जरिए इन्हें पाया जा सकता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य में जन्म से ही यह चारों गुण होते हैं. जिन लोगों में यह चारों गुण होते हैं, वह हर काम में सफल होते हैं और हमेशा मालामाल रहते हैं.
आचार्य चाणक्य के मुताबिक, जो आदमी खूब दान करता है, उसके पास यह दान की इच्छा का गुण जन्म से होता है. यह गुण कोई चाहकर भी अपने अंदर नहीं ला सकता है.
दान करने वालों के मन से ही दान की इच्छा पैदा होती है. जिसके पास जन्म से यह गुण न हो, वह दान देने की कोशिश भले ही कर सकता है लेकिन आंतरिक इच्छा पैदा नहीं कर सकता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, मधुर भाषा भी ऐसा गुण है जो जन्म से ही इंसान के पास होता है. ऐसे आदमी की जुबान की मधुरता ही उसे जीवन भर खुशहाल रखती है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि धैर्यवान व्यक्ति हमेशा सफल होता है. धैर्य भी ऐसा गुण है जो सबके पास जन्म के समय से ही होता है.
चाणक्य कहते हैं कि सही और गलत का ज्ञान भी ऐसा गुण है जो आनुवांशिक होता है. इस गुण को अभ्यास से नहीं पाया जा सकता है. हालांकि, इसे थोड़ा बहुत तराश सकते हैं.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इन चारों गुणों में विकास किया जा सकता है लेकिन कभी अभ्यास से इन्हें अपने अंदर नहीं लाया जा सकता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यह चारों ऐसे गुण हैं जो कभी नष्ट नहीं होते हैं. वहीं जिन गुणों अभ्यास के जरिए पाया जाता है अभ्यास छोड़ते ही खत्म होने लगते हैं.