आचार्य चाणक्य ने ऐसे दुखों का वर्णन किया है, जो इंसान को अंदर से खत्म कर देते हैं.
चाणक्य के अनुसार, यह ऐसे दुख हैं, जो इंसान कभी भी सहन नहीं कर पाता है. हमेशा परेशान रहता है.
चाणक्य के अनुसार, पत्नी का बिछुड़ना बड़ा दुख है. सज्जन लोग पत्नी के वियोग को सहन नहीं कर सकते हैं.
वहीं अगर किसी इंसान के भाई-बंधु उनका अपमान अथवा निरादर करते हैं तो वह उसे भी नहीं भुला सकते हैं.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो इंसान कर्ज से दबा होता है, उसे हमेशा कर्ज न उतार पाने का दुख रहता है.
चाणक्य के अनुसार, दुष्ट मालिक की सेवा में रहने वाला नौकर हमेशा दुखी रहता है. तरह-तरह की यातनाएं सहन करता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो इंसान धन की कमी जूझता रहता है वह भी अपने जीवन में हमेशा दुखहाल रहता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि निर्धनता एक अभिशाप की तरह है, जिसे लग जाए, वह कभी खुशहाल नहीं रहता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यह इन सब दुखों की वजह से इंसान को अपमानित होना पड़ता है, जिसका कष्ट मृत्यु समान है.