चांडाल समान है घर आए मेहमान के साथ ऐसा करने वाला, हमेशा रहता है परेशान

आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में लंबी यात्रा करके घर आने वाले अतिथि का महत्व समझाने की कोशिश की है.

हिंदू धर्म से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार, घर आने वाला मेहमान को किसी देवता के समान कहा गया है.

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इंसान को अपने घर में आने वाले अतिथि का खूब सम्मान करना चाहिए.

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बिना किसी स्वार्थ आपके घर आए मेहमान की पूजा कि बिना कभी स्वामी को भोजन नहीं करना चाहिए.

अगर अतिथि की बिना पूजा किए घर का स्वामी स्वयं भोजन कर लेता है, उसे निश्चय ही चंडाल कहा जाता है.

आचार्य चाणक्य के अुनसार, गृहस्थ को चाहिए कि दूर से आने वाले अतिथियों का आदर-सत्कार करे.

आचार्य चाणक्य के अनुसार, अतिथि की उपेक्षा करना पाप कर्म है. ऐसा करना एकदम ठीक नहीं माना गया है. 

चाणक्य के अनुसार, शास्त्रों में अतिथि की सेवा का विधान है. इसलिए अतिथि को बिना सेवा किए रवाना नहीं करना चाहिए. 

आचार्य चाणक्य के अनुसार, अगर आप अतिथि को बिना सेवा किए ही रवाना कर देते हैं तो शास्त्रों के अनुसार यह ठीक नहीं है.