26 July 2024
By- Aajtak.in
आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में महापाप का वर्णन किया है. यह महापाप जो भी करता है, वह कभी खुशहाल नहीं रहता है.
जो भी व्यक्ति इस पाप को जीवन में कर लेता है, वह हमेशा परेशान ही रहता है. जीवन में कभी सुखी नहीं रह सकता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि इंसान को भूलकर भी अपने माता-पिता के साथ गलत व्यवहार नहीं करना चाहिए.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो भी मनुष्य ईश्वर रूपी माता-पिता से अपशब्द कहता है, वह महापापी कहलाता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, अगर कोई माता-पिता के लिए अपशब्द बोलता है तो वही उसके जीवन का सबसे बड़ा पाप है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो भी इंसान यह पाप कर देता है, उसे जीवन भर कभी माफी नहीं मिलती है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, पहले तो गुस्से में आकर मनुष्य अपने माता-पिता से ऐसा बोल देता है फिर जीवन भर दुखी रहता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जिनका बच्चा उनके साथ ऐसा व्यवहार करता है, उन माता-पिता के दिल को गहरी ठेस पहुंचती है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, एक बार को माता-पिता इस गलती के लिए माफ कर दें लेकिन भगवान कभी माफ नहीं करता है.