आचार्य चाणक्य के अनुसार, कौवे का एक गुण इंसान को सफलता दिला सकता है. सही समय पर यह गुण सीखने की जरूरत है.
चाणक्य ने बताया कि कौआ अपने लिए हमेशा अकेला ही भोजन जमा करता है. किसी भी काम के लिए वह आलस नहीं करता है.
चाणक्य कहते हैं कि अगर कोई मनुष्य सफलता हासिल करना चाहता है तो उसे कौवे से यह गुण जरूर सीखना चाहिए.
अगर इंसान आलस त्यागकर कौवे की तरह मेहनती हो तो वह कभी किसी से पीछे नहीं रहता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, इंसान का आलस उसे आगे नहीं बढ़ने देता है. आलसी आदमी कभी तरक्की नहीं करता है.
जहां मेहनती आदमी से धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं तो आलस करने वाले से हमेशा नाराज रहती हैं.
इसी वजह से जो इंसान आलस करता है वह हमेशा तंगहाल रहता है. उसकी जेब हमेशा खाली रहती है.
चाणक्य कहते हैं कि कौवे की एक खासियत है कि वह जल्दी से किसी पर भरोसा भी नहीं करता है. यह आदत मनुष्य में भी होनी चाहिए.
दूसरों पर जल्द भरोसा करने वाला जीवन में कभी भी धोखा खा सकता है. एकदम से कभी भी दूसरों पर भरोसा नहीं करना चाहिए.